आहार
हमारे एक कवि मित्र
अपने दिमाग की उपज पर
इतरा रहे हैं 1
वे कहते हैं --
हम मेहनत की
कमाई खा रहे हैं 1
दिन मैं कई होटलों के
चक्कर लगते हैं 1
उनसे आहार का
नमूना मांग लातें हैं 1
इकठा किये गए
नमूनों को ही
आहार बना रहे हैं.
राम कृष्ण खुराना
ए - 426 , मॉडल town extension
लुधिआना
(पंजाब)
भारत
Friday, March 12, 2010
मेरी बातें: सार्वभौमिक (युनिवर्सल) भाषा#comment-form
मेरी बातें: सार्वभौमिक (युनिवर्सल) भाषा#comment-फॉर्म
आपने बिलकुल ठीक कहा है. मैं भी यह मानता हूँ की भाषा के लिए आपस में झगड़ा नहीं होना चाहिए. ससब जगह एक ही भाषा होनी चाहिए जिससे किसी को भी कोई परेशानी न हो . एक भाषा रख कर हम दुनिया जीत सकते हैं. भाषा की विभिनता ने हमें पंगु बना दिया है. हम जब मद्रास में जाते हैं तो वहां पर केवल इंग्लिश को ही तरजीह दी जाती है . हिंदी बोलने वाले को हेय दृष्टि से देखा जाता है. जो की समाज के लिए घातक है 1 वहां पर सभी बोर्ड इंग्लिश या मद्रासी मैं ही लिखे जाते हैं. बहुत पहले कुछ राजनीतिज्ञ कारणों के चलते हिंदी को हटा दिया गया . जो की एक दुर्भाग्यपुरण कम था
एक भाषा एक संसार का सपना कब सच होगा पता नहीं.
आपने बिलकुल ठीक कहा है. मैं भी यह मानता हूँ की भाषा के लिए आपस में झगड़ा नहीं होना चाहिए. ससब जगह एक ही भाषा होनी चाहिए जिससे किसी को भी कोई परेशानी न हो . एक भाषा रख कर हम दुनिया जीत सकते हैं. भाषा की विभिनता ने हमें पंगु बना दिया है. हम जब मद्रास में जाते हैं तो वहां पर केवल इंग्लिश को ही तरजीह दी जाती है . हिंदी बोलने वाले को हेय दृष्टि से देखा जाता है. जो की समाज के लिए घातक है 1 वहां पर सभी बोर्ड इंग्लिश या मद्रासी मैं ही लिखे जाते हैं. बहुत पहले कुछ राजनीतिज्ञ कारणों के चलते हिंदी को हटा दिया गया . जो की एक दुर्भाग्यपुरण कम था
एक भाषा एक संसार का सपना कब सच होगा पता नहीं.
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