आज़ादी के निशान
भुखमरी मंहगाई रिश्वत बलात्कार आतंकवाद
सभी दरवाजे लिए हाथ में मैं मकान ढून्ढ रहा हूँ !
गुनाहगार ही गुनाहगार हैं अब इस देश में
फाँसी के लिए जल्लाद और मचान ढून्ढ रहा हूँ !
हमने जन्मा भ्रष्टाचार या भ्रष्टाचार ने हमें
कब से इस समस्या का समाधान ढून्ढ रहा हूँ !
बेबस निरीह अबला बलात्कार की शिकार युवतियां
गले में अटकी है चीख सुनने वाले कान ढून्ढ रहा हूँ !
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में उठती नहीं,
पैसे सत्ता कुर्सियों में ही अपना इमान ढून्ढ रहा हूँ !
बहुत सालों से सुनता आ रहा हूँ कि देश आज़ाद है
कहाँ है आज़ादी मैं आज़ादी के निशान ढून्ढ रहा हूँ
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